बिलासपुर । बिलासपुर में कायदे कानून को किनारे रखकर नगर पालिका परिषद बिलासपुर व रामपुर के इर्द गिर्द कृषि योग्य जमीनों पर अवैध प्लाटिंग का धंधा इन दिनों चरम पर है। इलाके में सक्रिय भू माफिया लोगों को सपना दिखाकर अवैध तरीके से प्लाट बेंच रहे हैं। जिससे राजस्व को सबसे बडी हानि हो रही है ।बता दे की आर बी एक्ट 1958 का उल्लघंन तथा पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है।
जानकार बताते हैं बिलासपुर व आस पास के ग्रामीण इलाकों में अवैध तरीके से प्लाटिंग कर रहे इन भू माफियाओं द्वारा न तो नक्शा पास कराया जा रहा है, न ही बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। बिलासपुर के परेवा फार्म, खुंटाखेड़ा, कुंआ खेड़ा, माटखेड़ा रोड, खोंदलपुर आदि इलाकों में कृषि योग्य जमीनों को टुकड़ों में काटकर प्लाटिंग की जा रही है। कई बार शिकायत के बावजूद प्रशासन ने अब तक इनके खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं।
इलाके को विकसित करना कोई गैर कानूनी कार्य नहीं है। मगर इसके सरकारी प्रावधान हैं। जिन्हें पूरा करने के बाद ही प्लाटिंग की जा सकती है। इलाके में आवासीय प्लाट के नाम बेची जा रही किसानो की जमीन पर कायदे कानून का रत्ती भर भी पालन नहीं किया जा रहा। जानकार बताते हैं कि इससे जुड़े कारोबारियों का मुख्य मकसद लोगों को जमीन का सपना दिखाकर मोटा मुनाफा कमाना होता है। बिलासपुर विकासखंड का शायद ही कोई ऐसा कोना अछूता होगा, जहां खेतों में कालोनी और प्लाटिंग के नाम पर यह गोरखधंधा न हो रहा हो। ये भू माफिया एक अदद संस्था का नाम रखकर धड़ल्ले से प्लाट काटते हैं। खरीदने वालों को संस्था के नाम की रसीद पकड़ा दी जाती है। इस काम में कोलोनाइजर लाखों के बारे न्यारे कर रहे हैं। एक मकान की आस लगाए बैठे भोले भाले लोग इनके सब्जबाग में फंसते हैं। इस बात की कोई गारंटी नहीं होती कि कालोनी का विकास कब होगा। रही बात प्रशासन की तो अभी तक किसी भी कोलोनाइजर के खिलाफ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की गई है। इससे हर रोज कमोवेश नए-नए लोग भी इस मुनाफे के धंधे में कूद रहे हैं। बगैर कोई प्लान स्वीकृत कराए प्लाटिंग करने से सरकारी राजस्व को क्षति होने के साथ साथ प्लाट खरीदने वालों को बुनियादी सुविधाओं से वंचित होना पड़ रहा है।
अवैध प्लाटिंग की वजह से हाइवे। और स्टेट हाईवे के किनारे मौजूद खेत भी तेजी से समाप्त होते जा रहे हैं। नियम के मुताबिक ले आउट बनाकर प्लाटिंग कराने से उसके लिए बंदिशें बढ़ जाती हैं। नक्शा पास कराने पर पार्क के लिए जगह छोड़ना अनिवार्य हो जाता है। सड़कों की चैड़ाई भी प्रावधान के अनुसार रखनी पड़ती है। नाली, बिजली और पानी की व्यवस्था करके देनी होती है। यही नहीं सरकार को डेवलपमेंट चार्ज भी देना पड़ता है। इतना सब करने से प्लाटिंग काॅस्ट बढ़ जाती है। जिससे मुनाफे पर असर पड़ता है। इसी वजह से बगैर ले आउट दाखिल किए सारे कार्य किए जा रहे हैं।
बिलासपुर तथा इससे सटे कई ग्रामीण इलाकों में कृषि योग्य जमीनों में अवैध प्लाटिंग कर लोगों को तथा सरकार को ठगने वाले इन भू माफियाओं पर कब कार्यवाही होती है ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन इस मामले में राजस्व विभाग को कुछ पता नहीं है या वो जान बूझ कर अनजान बना हुआ है
आखिर क्यों नहीं करता तहसील प्रशासन पर कार्रवाई
क्षेत्र में इस तरह का करोबार भू माफियाओं द्वारा करना एक आम बात हो गई है। लोगों द्वारा कहा जाता है कि आखिर इन भू माफियाओं को इतना अधिकार कौन देता है इससे साबित होता है कि तहसील प्रशासन कहीं ना कहीं इन भू माफियाओं के हिस्से में बंदरबांट करता है। क्योंकि आए दिन समाचार पत्रों वा सोशल मीडिया के माध्यम से आए दिन समाचार प्रकाशित किया जाता है। उसके बावजूद भी भू माफियाओं के हौसले बुलंद रहते हैं इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि तहसील विभाग के उच्च अधिकारी भी इस गोलमाल का हिस्सा बन गये है
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