बिलासपुर : शहर में मांस-मछली की करीब 120 दुकानें सड़कों और चौक-चौराहों पर सजी हैं लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि किसी भी दुकान के पास मांस काटने और बेचने का लाइसेंस नहीं है। 2011- 12 से ही किसी भी दुकानदार ने न तो नवीकरण कराया है और न ही लाइसेंस लिया है, फिर भी शहर में खुलेआम बकरे, सुअर और मुर्गे कट रहे हैं और धड़ल्ले से बिक रहे हैं।
शहर के सब्जी मंडी एरिया, ईशानगर मोड़, तैमरा, डिबडिबा, नैनीताल रोड, साप्ताहिक बाज़ार, बंगाली कालोनी स्वार अड्डा, चक्कफेरी मोड़,केमरी रोड पर सुअर,मुर्गा, बकरा का मीट खुले रूप से इन स्थानों पर नियमों की अनदेखी कर खुलेआम सड़कों पर मांस बेचा जा रहा है। इन दुकानों पर मांस को बिना ढके टांगा जाता है, जिन पर मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं। ओर संक्रमण का खतरा बना रहता है। नियमों के अनुसार, बिना अनुज्ञप्ति मांस की दुकान पर रोक है। साथ ही खुले में तो बिल्कुल भी इसकी बिक्री नहीं की जा सकती है। धड़ल्ले से चल रही ऐसी दुकानों के संचालकों पर कोई असर नहीं दिखता। बिना किसी खौफ के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए मांस बिक्री का कारोबार चल रहा है।
वहीं इन रास्तों से रोजाना गुजरने वाले तमाम वरीय प्रशासन और पुलिस के अधिकारी भी मानो इससे मुंह फेर लेते हैं।खुले में चल रहीं मांस दुकानों पर अंकुश लगाने के खाद्य सुरक्षा एवम् औषधि प्रशासन विभाग रामपुर के आदेश के बाद भी विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा है।
सफाई का नहीं रखा जाता है कोई ख्याल
शहर में बकरे और मुर्गे की दुकानें सड़क के किनारे गुमटियों, खोखों व स्थायी दुकानों से संचालित हो रही हैं। हैरत की बात यह है कि कुछ दुकानदार अस्वस्थ बकरे और मुर्गे भी काट लोगों में बीमारी परोस रहे हैं।
इसे देख मार्ग से गुजरने वाले स्कूली बच्चे भी सहम जाते हैं। साफ-सफाई के अभाव में तेज दुर्गंध निकलती हैं। महिलाएं नाक बंद कर दुकानों के रास्ते से गुजरती हैं। शाकाहारी लोगों का तो और भी बुरा हाल हो जाता है। भले ही यह कुछ लोगों के लिए स्वादिष्ट व्यंजन हो, लेकिन अधिकतर लोगों का खुले में मांस की बिक्री देख मन विचलित हो जाता है।
क्या है नियम : प्रिवेंशन ऑफ क्रूएल्टी टू एनिमल एक्ट 1960 के तहत अवैध तरीके से मांस की दुकान लगाना और पशुओं की हिंसा करना प्रतिबंधित है। यहां तक कि इनका गलत तरीके से ढोना भी अपराध की श्रेणी में आता है। इस क्रूरता को रोकने के लिए पशु चिकित्सा विभाग, नगर पालिका परिषद, खाद्य सुरक्षा एवम् औषधि प्रशासन और पुलिस प्रशासन सभी को शक्तियां दी गयी हैं, लेकिन कोई इसका प्रयोग नहीं कर रहा। बिना लाइसेंस के चल रहीं दुकानों को एफएसडीए विभाग कभी भी बंद करा सकता है, या फुटपाथ से हटा सकता है।
नियम यह कहता है कि बिना अनुज्ञप्ति के नहीं चले मांस दुकान, खुले में नहीं बिके मांस, दुकानों पर मांस को काले कपड़ों में ढक के रखा जाये. काटे गये जानवरों के अवशेषों को यहां-वहां नहीं फेंका जाये। औजारों को विसंक्रमित करने के बाद ही जानवरों को काटा जाना चाहिए ताकि किसी प्रकार का संक्रमण न हो।
ज्ञातव्य है कि विभाग द्वारा बिलासपुर में कोई भी स्लाटर हाउस का लाइसेंस निर्गत नहीं किया है ऐसे में बड़े जानवरों को किस नियम से काटा जा रहा है । जबकि फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड एक्ट में स्लाटर हाउस से बिक्री केंद्र तक लाइसेंस देने के प्रावधान हैं । लेकिन खाद्य सुरक्षा अधिकारी एक्ट व शासनादेश को दरकिनार कर खुले में मांस की बिक्री करवा रहे हैं । इसके अलावा कुछ दुकानें तो धार्मिक स्थलों के पास भी चल रही हैं