आंगनवाड़ियों में हो रहा भारी भ्रष्टाचार जिम्मेदार कौन


*नवनीहालो के हिस्से में अधिकारी कर रहे सामूहिक बंदर बाट*

 

*आंगनवाड़ियों में हो रहा भारी भ्रष्टाचार जिम्मेदार कौन*

 

*मासूमों के पोषण आहार में भी किया गया सामूहिक बंदरबांट*

 

✍️ *रिपोर्ट–डी के सिंह *✍️

 

*बिलासपुर–* शासन प्रशासन लगातर प्रयास के बाद भी क्षेत्र में संचालित आगनवाड़ी केंद्रों में नही मिल रहा पूरक पोषण आहार । विभाग द्वारा केंद्र आने वाले 03 वर्ष से 05 वर्ष के सभी बच्चों ( हितग्राहियों) को प्रत्येक कार्य दिवस अलग अलग प्रकार के पोष्टिक एवं गुणवक्ता युक्त नाश्ता एवं गरम पका भोजन देने का सफल प्रवधान किया गया है। वही प्रत्येक केंद्र में अतिकम वजन के बच्चों को दोपहर 3 बजे घर पहुंचाकर गुणवक्ता युक्त गरम पका भोजन देने का भी प्रवधान किया गया है। केंद्र के अन्य हितग्राही जैसे गर्भबती माता, धात्री माता 6 माह से 3वर्ष तक के बालक बालिकाओं को प्रत्येक मंगल दिवस सूखा एवं पौष्टिक पूरक पोषण आहार वितरण करने का प्रधान है पर रामपुर  जिले के  तहसील बिलासपुर  में सभी आंकड़े केवल कागजों तक ही सीमित है। बड़ा सवाल यह भी है की परियोजना कार्यालय के निरीक्षण के लिए जिला एवं ब्लाक स्तर पर के जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है। अगर कागजों के अलावा जमीनी हकीकत पर ध्यान दिया जाता तो क्षेत्र के हितग्राही मंगल दिवस की अनेक योजनाओं के साथ साथ थर्ड मील योजना से अंजान नही होते । सवाल यह भी उठना लाजमी है परियोजना अधिकारी जब आंगनबाड़ी केंद्र में जाते हैं तो वहां ताला लगा मिलता है फिर भी आंगनवाड़ी सहायका से साठ गांठ कर वहां ग्रामीण बच्चों को एकत्रित कर फोटो क्लिक कर उनके द्वारा खेला कर दिया जाता है वही सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार   तहसील बिलासपुर   बाल विकास कार्यालय के परियोजना अधिकारी की साठ गांठ से जितनी आंगनबाड़ी केंद्र है वो कभी नही खुलते उनमें सिर्फ ताले लगे मिलते है

आंगनवाड़ी सहायिका एवं आंगनवाड़ी सुपरवाइजर और परियोजना अधिकारी के साट घाट से फर्जी रजिस्टर भी मेंटेन किया जाता हैं और बंदरबाट का सिलसिला जारी रहता है  अब देखना यह होगा कि धृतराष्ट्र की भूमिका में बैठे आला अधिकारियों को     तहसील बिलासपुर  परियोजना कार्यालय अंतर्गत आंगनबाड़ियों का निरीक्षण किया जाता है या बंदरबांट का सिलसिला ऐसे ही चलने को छोड़ दिया जाता है।


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