वायु सेवा स्टेशन पर कारगिल विजय दिवस पर हुआ विशेष एयर शो, नीले गगन को चीरता चला गया राफेल 


वायु सेवा स्टेशन पर कारगिल विजय दिवस पर हुआ विशेष एयर शो, नीले गगन को चीरता चला गया राफेल

 

प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने युद्ध स्मारक पर को पुष्पांजलि अर्पित

 

राफेल, सुखोई, जगुआ आदि सैन्य विमानो ने आसमान में दिखाए करतब

 

 

सहारनपुर , सरसावा वायु स्टेशन पर आज कारगिल विजय के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में भारतीय वायु सेना ने वायु सेना स्टेशन सरसावा में ‘कारगिल विजय दिवस रजत जयंती’ के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीरों का सम्मान किया गया तथा एयर शो कर वायु सेना के योद्धाओं ने अपनी शक्ति का शानदार प्रदर्शन किया।

 

भारतीय वायु सेना इस कार्यक्रम को कारगिल विजय दिवस रजत जयंती के उपलक्ष में मान रही है, शनिवार 13 जुलाई को वायु सेना स्टेशन सरसावा पर के एयर शो कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमे सबसे पहले प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी ने सभी वायु योद्धाओं को श्रद्धांजलि के रूप में स्टेशन युद्ध स्मारक पर वरिष्ठ गणमान्य व्यक्तियों, शहीदों के परिवारों, पूर्व सैनिकों और सेवारत भारतीय वायुसेना अधिकारियों के साथ पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम के दौरान सीएएस ने शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया और उनके साथ बातचीत की। उसके बाद एयर चीफ मार्शल कार्यक्रम स्थल पहुंचे जहां एक एयर शो में आकाश गंगा टीम, जगुआर, एसयू-30 MKI और राफेल लड़ाकू विमानों ने हवाई प्रदर्शन किया। शहीद नायकों की याद में Mi-17 V5 द्वारा एक “मिसिंग मैन फॉर्मेशन” उड़ाया गया। एयर वारियर ड्रिल टीम और वायु सेना बैंड के प्रदर्शन के साथ-साथ भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर जैसे एमआई-17 वी5, चीता, चिनूक का एक स्टेटिक डिस्प्ले भी आयोजित कार्यक्रम स्थल पर किया गया था। इस कार्यक्रम को 5000 से अधिक दर्शकों ने देखा, जिनमें स्कूली बच्चे, सहारनपुर क्षेत्र के स्थानीय निवासी, पूर्व सैनिक, नागरिक गणमान्य व्यक्ति और रूड़की, देहरादून और अंबाला के रक्षा बल प्रतिष्ठानों के कर्मी शामिल थे।

 

“वायु सेना के पास है वीर योद्धाओं के साहस और बलिदान की गौरवपूर्ण विरासत”

 

भारतीय वायु सेना के पास अपने वीर वायु योद्धाओं के साहस और बलिदान की गौरवपूर्ण विरासत है। जिन्होंने 1999 के कारगिल युद्ध में बहादुरी से लड़ाई लड़ी थी, जो वास्तव में सैन्य विमानन के इतिहास में महत्वपूर्ण था। कारगिल युद्ध (वायु सेना का ऑपरेशन सफेद सागर) में भारतीय वायुसेना की 16000 फीट से अधिक की चक्करदार ऊंचाइयों से उत्पन्न होने वाली दुर्गम चुनौतियों पर काबू पाने की हमारी वायुसेना की क्षमता का एक प्रमाण है, जो दुश्मन को निशाना बनाने में अद्वितीय परिचालन कठिनाइयों का सामना करती थी। दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र में लड़े गए इस युद्ध को जीतने के लिए तेज तकनीकी संशोधनों और ऑन द जॉब-प्रशिक्षण ने भारतीय वायुसेना को वायु शक्ति के उपयोग में अच्छी स्थिति में रखा।कुल मिलाकर, IAF ने लगभग 5000 स्ट्राइक मिशन, 350 टोही/ELINT मिशन और लगभग 800 एस्कॉर्ट उड़ानें भरीं। भारतीय वायुसेना ने हताहतों की निकासी और हवाई परिवहन संचालन के लिए 2000 से अधिक हेलीकॉप्टर उड़ानें भरीं।

 

कारगिल विजय के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में, भारतीय वायु सेना 12 जुलाई से 26 जुलाई 24 तक वायु सेना स्टेशन सरसावा में ‘कारगिल विजय दिवस रजत जयंती’ मना रही है, जिसमें देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले बहादुरों का सम्मान किया जा रहा है। वायु सेना स्टेशन सरसावा की 152 हेलीकॉप्टर यूनिट (एचयू), ‘द माइटी आर्मर’ ने ऑपरेशन सफेद सागर के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 28 मई 1999 को, 152 एचयू के स्क्वाड्रन लीडर आर पुंडीर, फ्लाइट लेफ्टिनेंट एस मुहिलन, सार्जेंट पीवीएनआर प्रसाद और सार्जेंट आरके साहू को तोलोलिंग में दुश्मन के ठिकानों पर लाइव स्ट्राइक के लिए ‘नुब्रा’ फॉर्मेशन में उड़ान भरने का काम सौंपा गया था। हमले को सफलतापूर्वक अंजाम देने के बाद, उनके हेलीकॉप्टर पर दुश्मन की स्टिंगर मिसाइल ने हमला कर दिया, जिससे हमारे चार वीर योद्धा शहीद हो गए। असाधारण साहस के इस कार्य के लिए उन्हें मरणोपरांत वायु सेना पदक (वीरता) से सम्मानित किया गया। उनके सर्वोच्च बलिदान ने यह सुनिश्चित किया कि उनका नाम भारतीय वायुसेना के इतिहास में सदैव अंकित रहेगा।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!