जनपद रामपुर:-
पीपली के जंगल में खैर के पेड़ की ‘खैर’ नहीं कत्था और गुटखे के कारण जमकर हो रही है अवैध कटाई
स्वार। पीपली जंगल में खैर के पेड़ की अवैध कटाई और तस्करी के कारण नामोनिशान मिटता जा रहा है. तस्करों के बीच हॉटकेक के नाम से मशहूर इस पेड़ की लकड़ी से कत्था और गुटखा बनने के कारण बड़े पैमान पर इसकी स्मगलिंग की जा रही है. वन विभाग इस समस्या को लेकर जहां उदासीन बना हुआ हुआ है ह वहीं पुलिस तस्करों के खिलाफ कार्रवाई में जुटी है.
स्वार किसी जमाने में पीपली – जंगल खैर के जंगल का बड़ा केंद्र हुआ करता था लेकिन आज विलुप्ति के कगार पर है. कई सालों ■से पेड़ों की अवैध कटाई और तस्करी से जंगल में खैर के पेड़ का – नामोनिशान मिटते जा रहे हैं. यूपी, हरियाणा, दिल्ली और दक्षिण भारत न के कई राज्यो में इस पेड़ की न लकड़ी की तस्करी पीपली क्षेत्र से क धड़ल्ले से जारी है. तस्करी रोकने न के काफी प्रयासों के बावजूद इस पर लगाम लगता नहीं दिख रहा है.खैर की लकड़ी से बनता है कत्था व गुटखा खैर की लकड़ी से कत्था और गुटखा बनने के कारण यह तस्करों के बीच हॉटकेक के नाम से मशहूर है. लालच में इसकी बड़े पैमाने पर कटाई की जा रही है. पर्यावरणविदों के मुताबिक अम्बरपुर, पिपली, सलारपुर, आर्यनगर और चंदेला के इलाके में कुछ सालो पहले इस पेड़
के घने जंगल थे. लेकिन अब यह
इलाका वीरान हो गया है. पूरे इलाके में खैर के कितने पेड़ थे इसका आंकड़ा वन विभाग के पास तो मौजूद नहीं है लेकिन विभाग ये स्वीकार करता है कि खैर के जंगल कम हो गए हैं. पेड़ों के काटे जाने से यहां काफी समस्याएं उत्पन्न होने लगी हैं.