वन विभाग सुस्त बन माफिया चुस्त परमिट लिया 30 पेड़ों का काट डाले 60 से 70 हरे भरे आम के पेड़


  • जनपद रामपुर :- बिलासपुर :-             उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण के बड़े अभियान चला रही है, वहीं दूसरी ओर  जिला रामपुर तहसील व थाना बिलासपुर  टांडा हुरमत नगर इलाके में वन माफियाओं के हौसले चौंका देने वाले हैं। परमिट लिया 30 पेड़ों का और काट डाले 60 से 70 पेड़ वन विभाग और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत से   बन माफियाओं ने बेखौफ होकर आम के हरे-भरे पेड़ों की कटाई शुरू कर दी है।

दिनदहाड़े काटे जा रहे आम के हरे पेड़, पुलिस और वन विभाग बना मौन!

तहसील बिलासपुर में बुधवार को  वन माफियाओं ने आम  और अन्य प्रजातियों के के पेड़ों को दिन-दहाड़े काट डाला। केवल इतना ही नहीं, कुछ पेड़ों को जड़ से उखाड़ कर मिटा दिया ताकि किसी को भनक तक न लगे। इस पूरी वारदात की फुटेज हमारे खोजी पत्रकारों के सामने आई है, जिसमें स्पष्ट दिख रहा है कि कैसे  वन माफिया बेखौफ होकर पेड़ों को काट रहे हैं।                                          वन विभाग के एसडीओ से हमारे चैनल के पत्रकारों ने फोन पर वार्ता की तब उन्होंने अपने आप को बचाते हुए कहा मेरी जानकारी में नहीं है अगर यदि ऐसा हो रहा है तो  बन माफिया के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी

वन निरीक्षक बोले- नहीं है घटना की जानकारी

अफसोस की बात यह है कि वन विभाग को इस घटना की कोई जानकारी नहीं है। जब क्षेत्रीय वन निरीक्षक से संपर्क किया गया, 23 आम के पेड़ 7 सागवान के पेड़ों की परमिशन है और उन्होंने कहा मैं विभागीय कार्य से कहीं बाहर हूं डिप्टी रेंजर साहब मेरी अनुपस्थिति में बन क्षेत्र का कार्य देख रहे हैं वन क्षेत्र के डिप्टी  रेंजर से  हमारे खोजी पत्रकारों की वार्ता हुई तो उन्होंने कहा कि हमें इस तरह की कोई जानकारी नहीं मिली है। यदि वन विभाग से जितने पेड़ों  का परमिट हुआ है उससे अधिक पेड़ों का कटान हुआ है , तो हम जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे।

वन प्रेमी चिंतित :-लेकिन सवाल ये उठता है कि जब वन विभाग और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत के चलते वन माफिया के हौसले बुलंद हैं, तो कार्रवाई कब  किस पर होगी? इस मामले ने पर्यावरण प्रेमियों और स्थानीय निवासियों के बीच चिंता बढ़ा दी है। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब तक अधिकारियों की नाक के नीचे ये सब हो रहा है, तब तक पर्यावरण की सुरक्षा और वृक्षारोपण अभियान के सच्चे उद्देश्य को हासिल करना मुश्किल है।

 

 


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