जनपद रामपुर:-
जिला रामपुर मे पुलिस अधीक्षक विद्यासागर मिश्र ने सोमवार को बताया कि अपर पुलिस अधीक्षक अतुल कुमार श्रीवास्तव के नेतृत्व में थाना साइबर क्राइम जनपद रामपुर द्वारा साइबर फ्रॉड से सम्बन्धित प्रकरणों का त्वरित संज्ञान लेते हुए साइबर ठगी का शिकार हुए पीड़ितों को जल्द से जल्द सहायता प्रदान की जाती है।पुलिस द्वारा संबंधित से सामंजस्य स्थापित करते हुए साइबर ठगी के पैसो को जल्द से जल्द पीड़ितों के खातों में वापस कराया जाता है।इसी क्रम में माह नवंबर 2024 में थाना साइबर क्राइम जनपद रामपुर द्वारा बीती एक नवंबर से तीस नवंबर तक विभिन्न साइबर अपराधों / धोखाधड़ी से संबंधित लगभग 39 लाख 63 हजार रुपए की धनराशि फ्रीज कराई गई l जिनको माननीय न्यायालय से आदेश प्राप्त कर शिकायतकर्ताओं को वापस कराया जा रहा है।साइबर अपराधियों के विरुद्ध निरंतर करवाई जारी रहेगी।
साइबर अपराधियों के विरूद्ध आगे भी रामपुर पुलिस की प्रभावी कार्यवाही इसी प्रकार जारी रहेगी।
*साइबर जागरूकता सुझावः-*
1- साइबर से सम्बन्धित किसी समस्या के लिये साइबर क्राइम हेल्पलाईन नम्बर 1930 अथवा साइबर क्राइम की वेबसाइट www.cybercrime.gov.in पर अपनी शिकायत दर्ज करें ।
2- क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड, पैन कार्ड व आधार कार्ड अपडेट करने के लिये बैंक द्वारा कोई लिंक नहीं भेजा जाता है ।
3- सदैव विश्वसनीय एवं भारत सरकार के अधीन शेयर मार्केट पर ही इन्वेस्टमेंट करें ।
4- व्हाट्सएप कॉल, टेलीग्राम या सोशल मीडिया के अन्य किसी प्लेटफार्म से यदि कोई व्यक्ति संपर्क कर शेयर मार्केट में इन्वेस्टमेंट के लिए प्रोत्साहित करता है तो उस पर विश्वास ना करें।
5. रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा निर्धारित की गई गाइडलाइन का सदैव पालन करें।
6. शेयर ट्रेडिंग से संबंधित सदैव ऐसे प्लेटफार्म पर ट्रेडिंग करें जिस पर भारत सरकार का नियंत्रण हो एवं सेबी के अधीन रजिस्टर्ड हो ।
7. डिजिटल करंसी जैसे बिटकॉइन क्रिप्टो करेंसी आदि में इन्वेस्टमेंट करके लाभ कमाने वाले लुभावने ऑफर से सदैव बचकर रहे ।
8. गूगल रिव्यू, होटल, मूवी लाइक रिव्यू करके पैसा कमाने वाले लुभावने ऑफर की ओर आकर्षित न हो।यह सभी आपके साथ फ्रॉड करने की नीयत से अपराधियों द्वारा मैसेज प्रेषित किए जाते हैं ।
9. पुलिस अधिकारियों/कर्मचारियों द्वारा वाट्सएप या अन्य किसी माध्यम से कॉल कर पैसे/बॉन्ड/गोपनीय जानकारी(बैंक खाता/ओटीपी आदि) की मांग नही की जाती है, ऐसी स्थिति में 1930 पर कॉल करें (डिजीटल अरेस्ट से बचें)।