मतदान को एक जिम्मेदारी के रूप में निभाने का अभी भी हैं वक़्त..!*


*मतदान को एक जिम्मेदारी के रूप में निभाने का अभी भी हैं वक़्त..!*

*एक-एक मत बेहद जरूरी..*

चुनाव के पहले चरण में तमाम व्यवस्थाओं के वावजूद जितने मतदाताओं के केंद्रों पर आने की उम्मीद जताई गई थी उससे कम संख्या में मतदाता मतदान केंद्रों पर पहुंचे इसको देखकर सवाल उठता है कि इसके पीछे कौन जिम्मेदार है? इसका जवाब है हमारी सोच! एक रिपोर्ट के अनुसार लोगों का यह आमतौर पर मानना होता है कि उनके मतदान से कोई बदलाव नह होगा! यहां तक कि व मतदान के दिन बाहर घूमने निकल जाते हैं तथा मतदान को एक जिम्मेदारी के रूप में भी नहीं देखते हैं!तो वही दूसरी और अमीर लोग मतदान नही करते!हालांकि गरीब लोगों के बीच चुनाव को लेकर ज्यादातर उत्साह रहता है। देखा जाएं तो कुछ लोगों के बीच अभी भी जागरूकता की कमी है!लोकसभा चुनाव में जहां एक-एक मत बेहद जरूरी होता है और भारतीय चुनाव आयोग और सरकार मिलकर इस ओर कदम तो बढ़ा रहे हैं की ज्यादा से ज्यादा मतदान हो।अभी भी वक़्त हैं कि आने वाले चरणों में खुलकर और ज्यादा से ज्यादा मतदान करके अपनी जिम्मेदारी निभाने का काम करें।


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