जनपद रामपुर:-
जनपद रामपुर की बिलासपुर तहसील में अगर कोई सूदखोर के जाल में फंस गया तो उसका जिंदा रहना मुश्किल है। सूदखोरों का ब्याज इतनी तेजी से बढ़ता है कि पीड़ित चुका नहीं पाता। इस पर सूदखोर पीड़ित का उत्पीड़न करना शुरू कर देते हैं। बैंक से रुपये निकालने के बाद कर्ज न चुका पाने पर जमीन और जेवरात तक बेचने का दबाव बनाते हैं। इस परेशानी से ऊबकर पीड़ित आत्महत्या को मजबूर हो जाता है। मौत के बाद भी उसे कर्ज से छुटकारा मिल पाता है।
जनपद में लाइसेंस धारक 82 साहूकारों को छोड़कर सैकड़ों सूदखोरों का जाल फैला है। सूदखोर लोगों से 20 रुपये से 30 रुपये प्रति सैकड़ा का ब्याज वसूल रहे हैं। इनसे रकम लेने के बाद ब्याज राकेट की रफ्तार से बढ़ जाता है। जितनी रकम ब्याज पर ली गई उससे दस गुना अदा करने के बाद भी पीड़ित को छुटकारा नहीं मिलता है। इससे परेशान होकर पीड़ित आत्महत्या कर रहे हैं। एक माह में तीन मामले ऐसे सामने आए जिसमें दो लोगों ने जान दे दी और तीसरा व्यक्ति अधिकारियों से मदद की गुहार लगा रहा है।
जानकारी के बाद भी जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे जिससे सूदखोरों का धंधा तेजी से फल फूल रहा है। सूदखोर बिना लाइसेंस के सूद पर रुपये देते है। गरीबों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनसे अवैध रूप से तब तक ब्याज वसूल करते हैं जब तक मूलधन पूरा अदा नहीं होता। जानकारी के अभाव में अक्सर लोग इन सूदखोरों के चक्कर में पड़कर जमीन अथवा जेवरात आदि गिरवीं रखकर रकम तो ले लेते हैं लेकिन ली गई रकम से अधिक ब्याज चुकाने के बाद भी मूलधन बकाया रह जाता है। कुछ तो अपना सब कुछ बेचकर पैसा अदा करते है तो कुछ सूदखोर से परेशान होकर जान दे देते हैं। विगत दिनों हुई घटनाओं में फांसी लगाकर जाने देने वालों की जेब से बरामद कागज पर साफ लिखा था कि ब्याज पर दी रकम न देने पर सूदखोर से परेशान होकर जान दे रहे हैं। पुलिस इसी आधार पर रिपोर्ट तो दर्ज कर लेती लेकिन अवैध रूप से फलफूल रहे इस कारोबार से जुड़े लोगों पर शिकंजा नहीं कसा जा रहा है। यह स्थित तब है जबकि जनपद में 82 साहूकार लाइसेंस धारक हैं। इन्हें 1.15 रुपये प्रति सैकड़ा पर रुपया देना होता है लेकिन ये साहूकार भी केवल कागजों पर ही चल रहे हैं। – मनीलैण्डर्स एक्ट, 1934 लागू है, जिसके अन्तर्गत 11(ए), 11(बी), 11(बीबी), 11(सी), 11(डी) और 11(ई) बिना पंजीयन के काम कर रहे हैं सूदखोरी का कारोबार
– निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत नोटिस फर्जी नोटिस जारी हो रहे हैं
उत्तर प्रदेश साहूकारी अधिनियम 1976 के मुताबिक साहूकारी के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। यह लाइसेंस एक साल के लिए मिलता है और हर साल इसका नवीनीकरण होता है। इसके तहत साहूकार प्रतिभूत ऋण यानी कोई वस्तु गिरवी रखकर लिए गए ऋण पर 14% वार्षिक ब्याज ले सकते हैं।