मतदाताओं की खामोशी प्रत्याशियों के लिए बेचैनी..


*मतदाताओं की खामोशी प्रत्याशियों के लिए बेचैनी..!!*

*हर मतदाता अब काफी हद तक जागरूक व सचेत..!!*

लोकसभा का पहला चरण पूरा हो चुका हैं और दूसरे चरण की जैसे चुनाव नतीजों की तारीखें नजदीक आ रही हैं मतदाताओं में उत्साह बढ़ रहा है! एक ओर राजनीतिक दलों ने अपने अपने प्रत्याशियों की जीत सुनिश्चित करने के लिए दिन-रात एक कर दिए हैं वहीं मतदाता भी प्रत्याशियों के दमखम को परख रहा है! मतदाताओं की खामोशी प्रत्याशियों के लिए बेचैनी बन रही है क्योंकि इससे चुनावी रणनीति बनाने में सुविधा होती!यों हर प्रत्याशी अपनी जीत को पक्का बता रहा है लेकिन मतदाता खुलकर अभी किसी भी प्रत्याशी का साथ नहीं दे रहा है, वैसे मतदाता अब काफी हद तक जागरूक व सचेत हो चुका है कि किसे वोट देना है और किस नहीं देना है! इसके बारे में बहुत ही गहनता से विचार करने लगा है,अब मतदाता सिर्फ अपने क्षेत्र के विकास की बात नहीं करता बल्कि देश के विकास को भी महत्त्व देने लगा है क्योंकि उसे पता है कि लोकसभा का चुनाव सिर्फ क्षेत्रीय मुद्दों के लिए नहीं, बल्कि राष्ट्रीय मुद्दों के साथ भी लड़ा जा रहा है!ऐसे में कोई भी प्रत्याशी या पार्टी मतदाता को अब बरगलाने का काम नहीं कर सकती!स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह अच्छी पहल है, ऐसा होना भी चाहिए।


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