*चन्दौसी : बावड़ी में पांचवें दिन भी खोदाई, करीब 12 सीढ़ियां एवं दिखाई दिया प्रथम तल
सह-सम्पादक/ आर के कश्यप
चंदौसी। नगर के मोहल्ला लक्ष्मणगंज स्थित ऐतिहासिक बावड़ी की खोदाई का कार्य पांचवें दिन मंगलवार को भी जारी रहा। नगर पालिका के सफाई कर्मी और मशीनरी सुबह से बावड़ी की खोदाई में जुट गए। शाम तक खोदाई में 12 प्राचीन सीढ़ियां रहस्य रूप से नजर जाने लगी, जिससे बावड़ी का ऐतिहासिक स्वरूप धीरे उभरकर सामने आने लगा है। जिलाधिकारी के निर्देश पर पिछले शनिवार से शुरू हुई इस खोदाई में अब तक बावड़ी की संरचना के कुछ अहम हिस्से सामने आ चुके हैं। जेसीबी और सफाईकर्मियों के सामूहिक प्रयास से खोदाई में मिट्टी और कूड़े को सावधानी पूर्वक हटाया जा रहा है। सुबह से दोपहर तक लेवल 08 सीढ़ियां दिखाई दे रही थीं लेकिन शाम तक पह संख्या बढ़कर करीब 12 हो गई। इसके अलावा, सीढ़ियों के दोनों और बने छोटे दरवाजों को खोला गया, जो लगभग तीन-चार फिट गहरी गैलरी में खुलते हैं। सोमवार से जेसीबी का काम रोक दिया गया था, लेकिन खोदाई की गति धीमी होने के कारण मंगलवार को फावड़ा और जेसीबी दोनों का सहारा लिया गया। जहां सफाई कर्मी नीचे जाकर फावड़े से मिट्टी हटाने का का कर रहे थे।वहीं जेसीबी ऊपर से मिट्टी की बाहर निकालने कार्य कर रहीं थी। प्राचीन बावड़ी का यह स्थल इतिहास प्रेमियों और पुरातत्वविदों के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह बावड़ी सैकड़ों साल पुरानी है और इसका उपयोग जल संरक्षण और आपातकालीन स्थितियों में पानी उपलका कराने के लिए किया जाता था। बावड़ी की खोदाई का यह ऐतिहासिक प्रयास शहर के इतिहास बरे फिर से जीवंत कर सकता है। प्रशासन की जिम्मेदारी है कि इस अमूल्य धरोहर को संरक्षित कर इसे भविष्य की पीढ़ियों के लिए संजोकर रखा जाए।
*बावड़ी का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) टीम ने किया सर्वे*
नगर के लक्ष्मण गंज मोहल्ला में पिछले पांच दिनों से बावड़ी की खोदाई चल रही है। इन पांच दिनों हुई खोदाई में ऊपर से नीचे आने वाली करीब बारह सीढिया और दोनों ओर गैलरी दिखाई दी। बुधवार को भारतीय पुरातत्व विभाग (एएसआई) की दो सदस्यीय टीम सुबह बावड़ी पहुंची। जिसने अपनी देखरेख में खोदाई कराई। इस दौरान टीम ने मिटटी, ईट आदि की जांच की। साथ ही दीवारों में बने आले आदि की पैमाइश की। टीम ने यह भी देखा कि इसकी बनावट किस तरह की है। जिससे बावड़ी के निर्माण के कालखंड का पता लगाया जा सके।