सितारगंज हाईवे और रिंग रोड के लिए हुए भूमि अधिग्रहण में 21.53 करोड़ का घोटाला


बरेली,:-                                 सितारगंज हाईवे और रिंग रोड के लिए हुए भूमि अधिग्रहण में 21.53 करोड़ का घोटाला सामने आया है। जिलाधिकारी की ओर से बनाई गई कमेटी की प्रारंभिक जांच में दोनों परियोजनाओं में इस घोटाले के लिए कुल 13 अधिकारियों को दोषी पाया गया है। इनमें तत्कालीन और मौजूदा विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी (अपर जिलाधिकारी) के साथ पीडब्ल्यूडी से 31 अगस्त को ही सेवानिवृत्त हुए अधिशासी अभियंता शामिल हैं।
सीडीओ जग प्रवेश की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने जांच पूरी कर मंगलवार को रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी। जांच के मुताबिक दोनों परियोजनाओं में कुल 21 करोड़ 52 लाख 91 हजार 983 रुपये का घोटाला हुआ है। इसमें 14 करोड़ 42 लाख 73 हजार 131 रुपये की राजस्व क्षति भू उपयोग बदलने से होनी बताई गई है, जबकि 7 करोड़ 10 लाख 18 हजार 852 रुपये का नुकसान जमीन और स्ट्रक्चर का ज्यादा मूल्यांकन कर मुआवजा बांटने से हुआ है। दोनों परियोजनाओं की जांच दस दिन पहले शुरू हुई थी। जांच कमेटी ने विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी से भूमि अधिग्रहण से संबंधित तीन हजार पन्नों का रिकॉर्ड लेकर जांच शुरू की थी।

जांच रिपोर्ट : अलग-अलग परियोजनाओं में कितना घोटाला
सितारगंज हाईवे परियोजना में सदर और नवाबगंज तहसील क्षेत्र में जानबूझकर भूउपयोग बदलने जाने से 11 करोड़ 13 लाख 60 हजार 466 रुपये की राजस्व क्षति हुई। इसके अलावा जमीन और परिसंपत्ति का गलत मूल्यांकन कर 1 करोड़ 68 लाख 87 हजार 384 रुपये ज्यादा का मुआवजा बांटा गया। पश्चिमी बाईपास रिंग रोड परियोजना में 8 करोड़ 70 लाख 44 हजार 133 रुपये का कुल गाेलमाल हुआ। इसमें जमीन और परिसंपत्ति का गलत मूल्यांकन कर 5 करोड़ 41 लाख 31 हजार 468 रुपये अधिक का मुआवजा तय किया गया, साथ ही जानबूझकर भू उपयोग बदलने से 3 करोड़ 29 लाख 12 हजार 665 रुपये की राजस्व क्षति हुई। हालांकि, रिंग रोड परियोजना में तय किया मुआवजा अभी बांटा नहीं गया है।

इन अफसरों की साठगांठ से हुआ घोटाला
जांच रिपोर्ट के अनुसार एनएचएआई की नोडल एजेंसी एसए इन्फ्रास्ट्रक्चर कंसलटेंसी लिमिटेड, सांई सिस्ट्रा ग्रुप, इंजीनियर रविंद्र गंगवार (वैल्यूअर) और एनएचएआई के साइट इंजीनियर गलत मूल्यांकन रिपाेर्ट तैयार करने के दोषी पाए गए। पीडब्ल्यूडी के प्रांतीय खंड के 31 अगस्त को सेवानिवृत्त हुए अधिशासी अभियंता नारायण सिंह, सहायक अभियंता स्नेहलता श्रीवास्तव, अवर अभियंता राकेश कुमार, अंकित सक्सेना और अमीन शिव शंकर को गलत सत्यापन करने के लिए दोषी माना गया। नवाबगंज तहसील के तत्कालीन लेखपाल सुरेश सक्सेना, सदर तहसील के लेखपाल उमाशंकर, विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी कार्यालय के तत्कालीन अमीन डंबर सिंह और पीडब्ल्यूडी के प्रांतीय खंड के तत्कालीन जेई सुरेंद्र सिंह को भी घोटाले का जिम्मेदार बताया गया है। मौजूदा विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी (एडीएम न्यायिक) आशीष कुमार और तत्कालीन विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी ( अब एडीएम) मदन कुमार को पूरे मामले में शिथिलता और लापरवाही बरतने के साथ प्रकरण का ठीक से परीक्षण न करने का दोषी माना गया है।


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