कोतवाली क्षेत्र के अन्तर्गत अधिकतर होटल,ढाबे और रेस्टोरेंट तथा ठेले बिना लाइसेंस के ही मयखानों में तब्दील हो गए हैं। यहाँ शाम ढलते ही ढाबों व होटलों में जाम छलकने लगते हैं और यह सिलसिला देर रात तक चलता रहता है ऐसा नहीं है कि शासन या प्रशासन को होटल, रेस्टोरेंट व ढाबों तथा ठेलों में चल रहे मुनाफे के खेल की जानकारी न हो, बावजूद इसके इन ढाबा व होटल मालिकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा रही है।
*सरकार को लगा रहे लाखों की चपत*
बताते चले कि आबकारी नियमों को ताक पर रखकर बिना लाइसेंस के ग्राहकों को शराब पिलाना होटल व ढाबा तथा ठेले मालिकों की फितरत बन चुकी है अपने प्रतिष्ठानों पर ग्राहकों की रौनक बढ़ाने के लिए खुलेआम शराब पिलाई जा रही है नियमों को ठेंगा दिखाकर सरेआम रेस्टोरेंट व ढाबों पर बार खुले हुए हैं। होटल व ढाबा तथा ठेले मालिक आमदनी को तो कई गुना कर रहे हैं लेकिन वही शासन और प्रशासन को भी लाखों रुपये की चपत लगा रहे है।
*शहरवासियों ने भी जताई नाराजगी” कार्यवाही की मांग*
इधर शहरवासियों का कहना है कि होटल, ढाबा व रेस्टोरेंट खाना खाने के लिए बनाए जाते हैं लेकिन वही शहर के अधिकतर होटलों में बैठकर लोग शराब पीते हैं इन ढाबा व होटल मालिकों के पास शराब पिलाने का लाइसेंस तक नहीं होता फिर भी बिना लाइसेंस के ही सब काम चल रहा है। जिसे नियमों की अवहेलना हो रही है और प्रशासनिक अधिकारी सुस्त है इनकी तरफ किसी भी अधिकारी का ध्यान नहीं है शायद ही कोई अधिकारी इन ढाबा या होटल मालिकों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई करता हो। उन्होंने स्थानीय प्रशासन वह आबकारी विभाग के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए जल्द से जल्द कार्यवाही की मांग की है।
*बार चलाने में लगती है निर्धारित फीस*
बात नियमों की करें तो होटल, ढाबों या फिर रेस्टोरेंट में बार चलाने के लिए सरकार के पास एक निर्धारित फीस जमा करवानी होती है और यह फीस शहर के ग्रेड के मुताबिक होती है इसी फीस से बचने के लिए होटल या ढाबा मालिक अवैध रूप से ग्राहकों के सामने शराब परोसते हैं बात बिलासपुर की करें तो यहाँ कोतवाली से लेकर रामपुर रोड, माट खेड़ा रोड, कैमरी रोड के आलवा रुद्रपुर रोड के किनारे बने होटल व ढाबों में अवैध तरीके से शराब पिलाने का धंधा शाम ढलते ही शुरू हो जाता है।
*लजीज व्यंजनों के साथ बैठाकर पिलाई जाती है शराब*
बिलासपुर के अधिकतर होटल ढाबों में लजीज व्यंजनों के ग्राहक शराब लेने के लिए ढाबों में मजमा लगाकर बैठ जाते हैं और देर रात तक बैठे रहते हैं यदि प्रशासनिक अधिकारी इस मामले को गंभीरता से लें और रात के अंधेरे में इन होटलों, ढाबों या रेस्टोरेंटों पर छापेमारी हो तो स्थिति स्पष्ट हो जाएगी। बार का लाइसेंस लिए बिना कोई भी होटल, ढाबा मालिक शराब नहीं पिला सकता है।
*सड़कों के किनारे चलने वाले कई ढाबों और होटल मालिकों के पास नहीं है फूड लाइसेंस बिना लाइसेंस के चल रहे है बार*